Three best Parveen Shakir ghazal परवीन शाकिर की तीन ग़ज़लें
कू-ब-कू फ़ैल गई बात शनासाई की
कू-ब-कू1 फ़ैल गई बात शनासाई2 की
उसने खुशबू की तरह
मेरी पज़ीराई3 की
कैसे कह दूं कि मुझे
छोड़ दिया उसने
बात तो सच है मगर
बात है रुसवाई4 की
वह कहीं भी गया लौटा
तो मेरे पास आया
बस यही बात है अच्छी
मेरे हरजाई5 की
तेरा पहलू तेरे दिल की तरह आबाद रहे6
तुझपे गुज़रे न क़यामत
शबे-तन्हाई7 की
उसने जलती हुई पेशानी8
पर जब हाथ रखा
रूह तक आ गई तासीर9
मसीहाई10 की
अब भी बरसात की
रातों में बदन टूटता है
जाग उठती है अजब
ख्वाहिशें अंगड़ाई की
1. कू-ब-कू :- गली-गली
2. शनासाई की :- जान-पहचान की, यहाँ पर मतलब दोस्ती
से है
3. पज़ीराई की :- कबूल करना या मंज़ूर करना
4. रुसवाई :- बदनामी, बेईज्ज़ती
5. हरजाई :-
बेवफा या किसी एक का न होकर रहने वाला
6. पहलू आबाद रहना :- आशिक और माशूक का पास होना,
पहलू मतलब करवट भी होता है
7. शबे-तन्हाई :- तन्हाई की रात
8. पेशानी :- माथा या ललाट
9. तासीर :- असर या नतीजा
10. मसीहाई :- उम्र बख्शना जिंदा करना
पर यहाँ पर तासीर मसीहाई का मतलब किसी अपने द्वारा मोहब्बत से ललाट पर हाथ रखने से जो सोकुं मिलता है उससे है
Koo-ba-koo fail gayi baat shanasai ki
Koo-ba-koo
fail gayi baat shanasai ki
Usne
khushboo ki tarah meri pazirai ki
Kaise kah
dun ki mujhe chhod diya usne
Baat to sach
hai magar baat hai ruswai ki
Wah kahin
bhi gaya lauta to mere baat aaya
Bas yahi
baat hai achchi mere harzai ki
Tera paheloo
tere dil ki tarah aabad rahe
Tujhpe guzre
na qayamat shabe-tanhai ki
Usne jalti
hui peshani par jab hath rakha
Rooh taka a
gai taseer masihayi ki
Ab bhi
barsaat ki raton mein badan tutata hai
Jaag uthhti hai azab khwahishein angdai ki
चारागर हार गया हो जैसे
चारागर1 हार गया हो जैसे
अब तो मरना ही दवा
हो जैसे
मुझसे बिछड़ा था वह
पहले भी मगर
अबकी ये ज़ख्म नया हो
जैसे
मेरे माथे पर तेरे
प्यार का हाथ
रूह पर दस्ते-सबा2
हो जैसे
यूँ बहुत हँस के
मिला था लेकिन
दिल ही दिल में वह
खफा हो जैसे
सर छुपाएँ तो बदन
खुलता है
जीस्त3 मुफ्लिश4 की रिदा5 हो जैसे
1. 1.चारागर :- ईलाज करने वाला,दोस्त, मदद करने वाला
2.दस्ते-सबा :- हवा का
हाथ, हवा
3.ज़ीस्त :- ज़िन्दगी
4.मुफ्लिश :- ग़रीब
5.रिदा :- चादर
Charagar haar gaya ho jaise
Charagar haar gaya ho jaise
Ab to marna hi dawa ho jaise
Mujhse bichhda tha wah pahle bhi magar
Abki ye zakhm naya ho jaise
Mere mathe par tere pyar ka haath
Rooh par daste-saba ho jaise
Yun bahut hans ke mila tha lekin
Dil hi dil mein wah khafa ho jaise
Sar chhupayein to badan khulta hai
Zeest muflish ki rida ho jaise
बाद मुद्दत के उसे देखा लोगों
बाद मुद्दत के उसे
देखा लोगों
वह जरा भी नहीं बदला
लोगों
खुश न था मुझसे बिछड़
कर वह भी
उसके चेहरे पे था
लिखा लोगों
उसकी आँखें भी कह
देती थीं
रात भर वह भी न सोया
लोगों
अजनबी बन के जो गुज़रा
है अभी
था किसी वक़्त में
अपना लोगों
दोस्त तो खैर कोई
किसका है
उसने दुश्मन भी न
समझा लोगों
रात वह दर्द मेरे
दिल में उठा
सुबह तक चैन न आया
लोगों
प्यास सेहराओं1
की भी तेज हुई
अब्र2 फिर टूट के बरसा लोगों
1.सेहरा :- रेगिस्तान
2.अब्र :- बादल
Baad muddat use dekha logon
Baad muddat use dekha logon
Wah jara bhi nahin badla logon
Khush na tha mujhse bichhad kar wah bhi
Uske chehre pe tha likha logon
Uski aankhein bhi kah deti thin
Raat bhar wah bhi na soya logon
Aznabi ban ke jo gujra hai abhi
Tha kisi waqt mein apna logon
Dost to khair koi kiska hai
Usne dushman bhi na samjha logon
Raat wah dard mere dil mein uthha
Subah tak chain na aaya logon
Pyaas sehraon ki fir tej hui
Abra fir toot ke barsa logon
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