एक ना एक रोज तो रुखसत करता

 

                                                        


                                                    

 

    एक ना एक रोज तो रुखसत करता

 

    एक ना एक रोज तो रुखसत करता

    मुझसे कितनी ही मोहब्बत करता


    सब रुतें आके चली जाती हैं

    मौसमें गम भी तो हिजरत करता


    भेड़िये मुझको कहाँ पा सकते

    वह अगर मेरी हिफाजत करता


    मेरे लहजे में गुरुर आया था

    उसको हक था की शिकायत करता


    कुछ तो थी मेरी खता,वरना वह क्यों

    इस तरह तरके रफाकत करता


    और उससे न रही कोई तलब

    बस मेरे प्यार की हिफाज़त करता

                                     (परवीन शाकिर)

 

 

रुखसत करना :- जनाज़ा उठाना,रवाना करना,इजाजत देना (यहाँ पर जनाज़ा उठाने से मतलब है)

रुतें :- मौसम,बहार,बहार का मौसम
मौसमें गम :- गम का वक़्त,परेसानी की घड़ी
हिजरत :- जाना,छोड़ के जाना
लहजा :- बात करने का अंदाज,बात करने के तरीके
तरके रफाकत :- साथ छोड़ना

तलब :- ख्वाहिश,चाहत

 

 

 

    Ek na ek roj to rukhsat karta

 

    Ek na ek roj to rukhsat karta

    Mujhse kitani hi mohabbat karta


    Sab rutein aake chali jati hain

    Mausame gam bhi to hijarat karta


    Bhediye mujhko kahan paa sakte

    Wah agar meri hifajat karta


    Mere lahaje mein gurur aaya tha

    Us ko haq tha ki shikayat karta


    Kuchh to thi meri khata,warna wah kyon

    Is tarah tarke rafakat karta


    Aur us se na rahi koi talab

    Bas mere pyar ki izzat karta.


                     (Parveen Shakir)


rukhsat :- janaja uthhana,rawana karna (yahaan matlab    janaaza uthhane se hai)

rutein :- mausam,bahaarein,baharon ka mausam

Mausame gam :- musibat ka waqt,gam ka waqt

hijarat :- jaanaa,chhod ke janaa

lahaja :- baat karne ke andaaj,baat karne ka tarike

tarke rafakat :- sathh chhodna

talab :- khwahish,chahat,ichchha

 

 

 

Hamse bhaga na karo door हमसे भागा न करो दूर गिजालों की तरह

                                                                             


      हमसे भगा न करो दूर गिजालों की तरह


        हमसे भागा ना करो दूर गिज़ालों की तरह
        हमने चाहा है तुम्हें चाहने वालों की तरह 

        खुद-बखुद नींद सी आँखों में घुली जाती है 
        महकी-महकी है शबे गम तेरे बालों की तरह 

        और क्या इससे ज्यादा कोई नरमी बरतुं
        दिल के ज़ख्मों को छुआ है तेरे गालों की तरह 

        तेरी जुल्फें,तेरी आँखें,तेरे अबरू,तेरे लब
        अब भी मशहूर हैं दुनिया में मिसालों की तरह

        हमसे मायूस न हो ऐ सबे दौरां की अभी 
        दिल में में कुछ दर्द चमकते हैं उजालों की तरह 

        मुझसे नज़रें तो मिलाओ की हजारों चेहरे 
        मेरी आँखों में सुलगते हैं सवालों की तरह 

        और तो मुझको मिला क्या मेरी मेहनत के सिवा 
        चन्द सिक्के हैं मेरे हाथों में छालों की तरह

                                                    (जांनिसार अख़्तर)
                                
        गिज़ाल :- हिरन
        खुद-बखुद :- अपने आप
        शबे गम :- गम की रात,दर्द वाली रात
        अबरू :- भौं, आँख के उपर के बाल
        लब :- होंठ
        सबे दौरां :- रात,रात के वक्त,रात का समय


                                            

        Hamse bhagaa na karo door gizalon ki tarah

        Hamse bhagaa na karo door gizalon ki tarah
        Hamne chaha hai tumhein chahne walon ki tarah

        Khud-bakhud neend si aankhon mein ghuli jati hai
        Mahaki-mahaki hai shabe gum tere balon ki tarah

        Aur kya  isse jyada koi narmi bartun
        Dil ke zakhmon ko chhuaa hai tere gaalon ki tarah

        Teri zulfein,teri aankhein,tere abru,tere lab
        Ab bhi mashahoor hain duniya me misaalon ki tarah

        Hamse maayus naa ho ae sabe dauraan ki abhi
        Dil mein kuch dard chamakte hain ujaalon ki tarah

        Mujhse nazarein to milawo ki hajaron chehare
        Meri aankhon mein sulagte hain sawalon ki tarah

        Aur to mujhko mila kya,meri mehnat ke siwa
        Chand sikke hain meri haathon mein chhalon ki tarah.

                                                          (Jaan Nisar Akhtar)

        gizaal :- hiran
        Khud-bakhud :- apane aap
        shabe gum :- gam ki raat
        abru :- bhaun, eyebrow
        sabe dauraan :- raat.

सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं


                                                                                





सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं  


सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं

सो उसके शहर में कुछ दिन ठहर के देखते है

सुना है रब्त है उसको ख़राब हालों से 
सो अपने आप को बर्बाद कर के देखते हैं 

सुना है दर्द की गाहक है चश्मे-नाज़ उसकी
सो हम भी उसकी गली से गुज़र के देखते हैं
 
सुना है उसको भी है शेरो शायरी से शगफ़ 
सो हम भी मोअज्जजे अपने हुनर के देखते हैं

सुना है बोले तो बातों से फूल झड़ते हैं
ये बात है तो चलो बात कर के देखते हैं

सुना है रात भर उसे चाँद तकता है 
सितारे बामे फलक से उतर के देखते हैं
 
सुना है दिन को उसे तितलियाँ सताती हैं 
सुना है रात को जुगनू ठहर के देखते हैं
 
सुना है हश्र हैं उसकी गिजाल सी आँखें 
सुना है उसको हिरन दश्त भर के देखते हैं

सुना है रात से बढ़ कर हैं जुल्फें उसकी 
सुना है शाम को साये गुज़र के देखते हैं 

सुना है उसकी स्याह चश्मगी क़यामत हैं 
सो उसको सुरमा फरोश आह भर के देखते हैं 

सुना है उसके लबों से गुलाब  जलते हैं 
सो हम बहार पे इल्जाम धर के देखते हैं 

सुना है आईना तमसाल है जबीं उसकी 
जो सादा दिल हैं उसे बन सँवर के देखते हैं
 
सुना है जबसे हमाइल है उसकी गर्दन में 
मिजाज और ही लालो गुहर के देखते हैं 

सुना है उसके बदन की तराश ऐसी है 
की फूल अपनी कबाएँ क़तर के देखते हैं 

वो सर्व कद है मगर बे गुले मुराद नहीं 
की उस शज़र पे शिगूफे संवर के देखते हैं 

बस एक निगाह से लुटता है काफिला दिल का 
सो रहरवाने-तमन्ना भी डर के देखते हैं 

सुना है उसकी सबिस्तां से मुत्तसिल है बहिश्त
मकीं उधर के भी जलवे इधर के देखते हैं

रुके तो गर्दिशें उसकी तवाफ़ करती हैं 
चले तो उसको ज़माने ठहर के देखते हैं 

किसे नसीब की बे पैरहन उसे देखे
कभी-कभी दरो-दीवार घर के देखते हैं

कहानियाँ ही सही सब मुबालगे ही सही 
अगर वो ख्वाब है तो ताबीर कर के देखते हैं 

अब उसके शहर में ठहरें की कूच कर जाएँ 
फ़राज़ आओ सितारे सफ़र के देखते हैं 

                                                ( अहमद फ़राज़ )
                                                                 




रब्त :- सम्बंध, वास्ता,तअल्लुक
गाहक :- खरीदार
चश्मे-नाज़ :- नाज़ करने योग्य आंखें, फख्र वाली आंखें
शगफ़:- दिलच्पी, मोहब्बत
मोअज्जजे :- चमत्कार
सितारे बामे फलक :- सितारे आसमान की ऊंचाईयों से
हश्र  :- कयामत 
गिजाल :- हिरन
हिरन दश्त भर के देखना :- बाहें खोल के देखना,
स्याह चश्मगी :- काली आंखें
सुरमा फरोश :- सुरमा बेचने वाले
आईना तमसाल है जबीं :- आइने की तरह माथा (ललाट)
हमाइल :- गले में पड़ी हुई चीज,जैसे - मोती का कोई माला या  गले  में पड़ी हुई बाहें
लालो गुहर :- लाल रंग के मोती
कबाएँ :- पत्तियां
सर्व कद :- कद का लम्बा
बे गुले मुराद नहीं  :- बगैर इच्छा रखने वाला नहीं,बेमुराद
शज़र :- पेड़
शिगूफे :- कलियां
रहरवाने-तमन्ना :- ख्वाहिश रखने वाले, इच्छा रखने वाले
सबिस्तां से मुत्तसिल है बहिश्त :- घर(या रहने की जगह) से करीब है जन्नत
मकीं :- रहने वाले
गर्दिशें उसकी तवाफ़ करती हैं  :- काल (मुसीबत) उसकी इर्द गिर्द घूमती हैं, कालचक्र उसका चक्कर लगती हैं
बे पैरहन :- बगैर कपड़ों के,बिना लिबास के
मुबालगे :- यूंही, वैसे ही,बेवजह ही
ताबीर :- सपनों को फल,ख्वाब का मतलब निकालना
कूच कर जाना :- चले जाना
सितारे सफ़र :- सफर के नछत्र