Dekhi hai meri udasi usane parveen shakir shyari





बारिश  ने  हमें  मिला  दिया  है


किस्मत से भी कुछ सिवा दिया है
बारिश  ने  हमें  मिला  दिया  है

देखी  है  मेरी   उदासी  उसने
और  देख  के  मुस्कुरा  दिया है

अब  तो  मुझे सब्र आ  गया था
ये  किसने  मुझे  रुला  दिया  है

वह  चाहे  तो  रास्ता  बदल  ले
मैंने  तो  दिया  जला  दिया  है

उस  रौनक ए  बज़्म  ने  तो  मेरी
तनहाईयों  को  भी  सजा  दिया है

वह  पल  कि  सुलग  उठा  है मलबूस
और  उसने  दिया  बुझा  दिया  है

                                    ( परवीन शाकिर )

रौनक ए  बज़्म :-  महफिल की रौनक 
मलबूस  :-  बदन में पहना हुआ पोषक 




Dekhi hai meri udaasi usane


Kismat se bhi kuch siwa diya hai
Baarish ne hamein mila diya hai

Dekhi hai meri udaasi usane
Aur dekh ke muskura diya hai

Ab to mujhe sabra aa gaya tha 
Ye kisane mujhe rula diya hai

Wah chaahe to raasta badal le
Maine to diya jala diya hai

Us raunake bazm ne to meri
Tanhai ko bhi saja diya hai

Wah pal ki sulag uthha hai malboos
Aur usane diya bujha diya hai.

                                       ( Parveen Shakir)

raunake bazm :- mahafil ki rounak.
malboos  :-  poshak,badan me pahna huaa poshak

ना हारा है इश्क़ ना दुनिया थकी है Khomaar barabankavi shayari

 


ना हारा है इश्क़ ना दुनिया थकी है


ना हारा है इश्क़ ना दुनिया थकी है
दिया जल रहा है हवा चल रही है

सोकूं ही सोकूं है खुशी है खुशी है
तेरा ग़म सलामत मुझे क्या कमी है

वो मौजूद हैं ओर उनकी कमी है
मोहब्बत भी तनहाई ए दाएमी है

खटक गुदगुदी का मजा दे रहा है
जिसे इश्क़ कहते हैं शायद यही है

चारागों के बदले मकां जल रहे हैं
नया है ज़माना नयी रोशनी है

जफाओं पे घुट घुट के चुप रहने वाले
खामोशी ज़फाओं की ताईद भी है

मेरे रहबर मुझको गुमराह कर दे
सुना है कि मंज़िल करीब आ गई है

                  ( खूमार बाराबंकवी )


दाएमी :- हमेशा

मोहब्बत भी तनहाई ए दाएमी है :- मोहब्बत हमेशा तन्हाई देने वाली है, मोहब्बत में हमेशा तन्हा करने वाली होती है

जफाओं :- ना इंसाफी,ज़ुल्म

ताईद :- समर्थन, समर्थन करना

रहबर :- रास्ता दिखाने वाला, अगुवा

गुमराह :- भटकना, रास्ता भूलना

मेरे रहबर मुझको गुमराह कर दे :- रास्ता दिखाने वाले मुझको रास्ते से भटका दे,रास्ता भूल दे

Ahamad faraz abki ham bichhade to shayad kkwabon mein milen अबकी हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिलें

    


   
   अबकी हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिलें

    अबकी हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिलें
    जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें

    ढूंढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती 
    ये ख़ज़ाने तुम्हें मुमकिन है खराबों में मिलें

    गमे दुनिया भी ग़मे यार में शामिल कर लो
    नशा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें

    तु खुदा है ना मेरा इश्क फरिश्तों जैसा
    दोनों इन्सां हैं तो क्यों इतने हिजाबों में मिलें

    आज हम दार पे खींचे गए जिन बातों पर
    क्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों में मिलें

    अब न वो हैं न वो तु है न वो माजी है फ़राज़
    जैसे दो शख़्स तमन्ना के सराबों में मिलें

                                    (अहमद फ़राज़)

खराबों में :- रेगिस्तानों में

गमे दुनिया :- दुनिया के ग़म

ग़मे यार :- महबूब के ग़म,दोस्त के ग़म

हिजाबों में :- पर्दे में

दार :- सूली

निसाबों में :- पाठयक्रम में, किताबों में पढ़ाए जाने वाले पाठ

माजी :- बीता हुआ कल, गुजरा हुआ जमाना

तमन्ना के सराबों में :- ख्वाहिशों के छल में, इच्छा के छलाव में

best romantic gazal


ये जींदगी तो कोई बद्दुआ लगे है मुझे (jaan nisar akhtar)

    


    ये जींदगी तो कोई बद्दुआ लगे है मुझे


    हर एक रूह में एक ग़म छुपा लगे हैं मुझे
    ये जींदगी तो कोई बद्दुआ लगे है मुझे

    जो आंसुवों में कभी रात भीग जाती है
    बहुत करीब वो आवाजे पा लगे है मुझे

    मैं सो भी जाऊं तो क्या मेरी बंद आंखों में
    तमाम रात कोई झांकता लगे है मुझे

    मैं जब भी उसके खयाल में खो सा जाता हूं
    वो खुद भी बात करे तो बुरा लगे है मुझे

    दबा के आई है सीने में कौन सी आहें
    कुछ आज रंग तेरा सांवला लगे है मुझे

    मैं सोंचता था कि लौटुंगा अजनबी की तरह
    पर ये मेरा गांव तो पहचानता लगे हैं मुझे

    न जाने वक्त की रफ्तार क्या दिखाती है
    कभी कभी बड़ा खौफ सा लगे है मुझे

    बिखर गया है कुछ इस तरह आदमी का वजूद
    हर एक शख़्स कोई सानेहा लगे है मुझे

    अब एकाद कदम का हिसाब क्या रखें
    अभी तलक तो वही फासला लगे है मुझे

                                      (जां निसार अख़्तर)

आवाजे पा :- कदमों की आवाज़,कदमों की आहट
सानेहा :- सदमा पहुंचाने वाला, तकलीफ देने वाला

अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं ( Ahamad Faraz Shayari )

         


    

    अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं


    अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं

    फराज़ अब जरा लहजा बदल के देखते हैं


    जुदाईयां तो मुकद्दर हैं फिर भी जाने सफर

    कुछ और दूर जरा साथ चल के देखते हैं


    राहे वफ़ा  में  हरीफे  खिराम  कोई तो हो

    सो अपने आप से आगे निकल के देखते हैं


    तु सामने है तो फिर क्युं यकीं नहीं आता

    ये बार बार जो आंखों को मल के देखते हैं


    ये कौन लोग हैं मौजूद तेरी महफिल में

    जो लालचों से तुझे, मुझको जल के देखते हैं


    ये कुर्ब क्या है कि यक्जां हुए ना दूर रहे

    हजार एक ही कालिब में ढल के देखते हैं


    ना तुझको मात हुई है ना मुझको मात हुई

    सो अबकी दोनों ही चालें बदल के देखते हैं


    ये कौन हैं सरे साहिल कि डूबने वाले

    समन्दरों की तहों से उछल के देखते हैं


    अभी तलक तो न कुंदन हुए न राख हुए

    हम अपनी आग में हर रोज जल के देखते हैं


    बहुत दिनों से नहीं है कुछ उसकी  खैर खबर

    चलो फ़राज़ कूए यार चल के देखते हैं

                                        ( अहमद फ़राज़ )



लहजा :- बात करने के अंदाज़,बात करने का तरीका

जाने सफर :- यहां पर मतलब महबूब से है या दोस्त

राहे वफ़ा :- वफ़ा के राह

हारीफे खिराम :- चलने में मुकाबिल,चलने में मुकाबला

राहे वफ़ा में हरीफे खिराम:- वफ़ा के रास्ते पर चलने में मुकाबला करने वाला 

कुर्ब :- नजदीकियां,नजदीकी, इकट्ठा 

यक्जां:- करीब, समीप

कालिब :- ढांचा

मात :- हार, पराजय

सरे साहिल :- समंदर का किनारा,किनारा

तहों से :- गहराइयों से

कुंदन :- सोना, प्योर सोना

कूए यार :- महबूब की गली