ना हारा है इश्क़ ना दुनिया थकी है Khomaar barabankavi shayari

 


ना हारा है इश्क़ ना दुनिया थकी है


ना हारा है इश्क़ ना दुनिया थकी है
दिया जल रहा है हवा चल रही है

सोकूं ही सोकूं है खुशी है खुशी है
तेरा ग़म सलामत मुझे क्या कमी है

वो मौजूद हैं ओर उनकी कमी है
मोहब्बत भी तनहाई ए दाएमी है

खटक गुदगुदी का मजा दे रहा है
जिसे इश्क़ कहते हैं शायद यही है

चारागों के बदले मकां जल रहे हैं
नया है ज़माना नयी रोशनी है

जफाओं पे घुट घुट के चुप रहने वाले
खामोशी ज़फाओं की ताईद भी है

मेरे रहबर मुझको गुमराह कर दे
सुना है कि मंज़िल करीब आ गई है

                  ( खूमार बाराबंकवी )


दाएमी :- हमेशा

मोहब्बत भी तनहाई ए दाएमी है :- मोहब्बत हमेशा तन्हाई देने वाली है, मोहब्बत में हमेशा तन्हा करने वाली होती है

जफाओं :- ना इंसाफी,ज़ुल्म

ताईद :- समर्थन, समर्थन करना

रहबर :- रास्ता दिखाने वाला, अगुवा

गुमराह :- भटकना, रास्ता भूलना

मेरे रहबर मुझको गुमराह कर दे :- रास्ता दिखाने वाले मुझको रास्ते से भटका दे,रास्ता भूल दे

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