Ahamad faraz Guftagu achchi lagi zauke nazar achcha laga गुफ्तगू अच्छी लगी जौक-ए-नज़र अच्छा लगा
गुफ्तगू अच्छी लगी जौक-ए-नज़र अच्छा लगा
Manzar bhopali Kidhar ko jayenge ahale safar किधर को जायेंगे अहले सफ़र
किधर को जायेंगे अहले सफ़र नहीं मालुम
किधर को जायेंगे अहले
सफ़र1 नहीं मालुम
वो बदहवाशी2 है अपना ही घर नहीं मालुम
हमारे शहर में हर
रोज़ एक क़यामत है
यहाँ किसी को किसी
की खबर नहीं मालुम
हमारा सब्र तुझे ख़ाक
में मिला देगा
हमारे सब्र का तुझको
असर नहीं मालुम
मेरे खुदा मुझे
तौफीक दे मोहब्बत की
दिलों को जीतने वाला
हुनर नहीं मालुम
हम अपने घर में भी
महफूज़ रह नहीं सकते
कि हमको नियते
दीवारो दर नहीं मालुम
हमेशा टूट के माँ
बाप की करो ख़िदमत
हैं कितने रोज़ ये
बूढ़े शज़र3 नहीं मालुम
(मंज़र भोपाली)
(1)
अहले
सफ़र :- सफ़र करने वाले
(2)
बदहवाशी
:- परेशानी,घबराहट
(3)
शज़र :- पेड़
दिल की धड़कन तेरे क़दमों की सदा लगती है.........
Kidhar ko jayenge ahale safar nahin malum
Kidhar ko
jayenge ahale safar nahin malum
Vo
bad-hawashi hai apna hi ghar nahin malum
Hamare
shahar mein har roz ek qayamat hai
Yahan kisi
ko kisi ki khabar nahin malum
Hamara sabra
tujhe khaak mein mila dega
Hamare sabra
ka tujhko asar nahin malum
Mere khuda
mujhe taufeek de mohabbat ki
Dilon ko
jitane wala hunar nahin malum
Ham apane
ghar mein bhi mahafooz rah nahin sakte
Ki hamko
niyate diwaro-dar nahin malum
Hamesha toot
ke maan baap ki karo khidmat
Hain kitne
roz ye boodhe shazar nahin malum
(Manzar
Bhopalee)
(1)
Ahale-safar
:- safar karne wale
(2)
Bad-hawashi
:- Pareshani,museebat
(3)
Shazar
:- Ped
Ahamad Faraz Dil ki dhadkan tere kadmon ki sada lagti h दिल की धड़कन तेरे
Dil ko ab yun teri har ek adaa lagti hai
Khoomar Barabankavi dar se jab uthh ke jaana padega तेरे दर से जब उठ के जाना पड़ेगा
तेरे दर से जब उठ के जाना पड़ेगा
तेरे दर से जब उठ के जाना पड़ेगा
खुद अपना जनाज़ा उठाना पड़ेगा
अब आँखों को दरिया बना पड़ेगा
तबस्सुम का कर्जा चुकाना पड़ेगा
बला से मेरा गम न हो उन पर ज़ाहिर
जब आयेंगे वो मुस्कुराना पड़ेगा
चला हुं
मैं कूंचे से उनके बिगड़ कर
हंसी आ रही है की आना पड़ेगा
खूमार उनके घर जा रहे हो तो जाओ
मगर रास्ते में ज़माना पड़ेगा
(खूमार
बाराबंकवी)
तबस्सुम :-
मुस्कुराहट,मुस्कुराना
बला :- गलती से
ज़ाहिर :- पता
चलना,मालूम होना
कूंचे :-
दर,जगह,गली
हमने चाहा हैतुम्हें चाहने वालों की तरह......
Tere dar se jab uthh ke jaana padega
Tere dar
se jab uthh ke jaana padega
Khud apana
janaza uthhana padega
Ab aankhon ko dariya banana padega
Tabassum
ka karza chukana padega
Bala se mera gam na ho un par zahir
Jab
aayenge vo muskurana padega
Chalaa hun main koonche se unke bigad kar
.Hansi aa
rahi hai ki aana padega
Khoomar
unke ghar ja rahe ho to javo
Magar raste mein zamanaa padega
(Khoomar Barabankavi)
adeem hasmi shyari bada viran mousam hai बड़ा वीरान मौसम है
Bada viran mousam hai kabhi milane chale aao
बड़ा वीरान मौसम है कभी मिलने चले आओ
बड़ा वीरान मौसम है कभी मिलने चले आओ
हर एक जानिब तेरा ग़म है कभी मिलने चले आओ
हमारा दिल किसी गहरी जुदाई के भंवर में है
हमारी आँख भी नम है कभी मिलने चले आओ
मेरे हमराह अगर दूर तक लोगों की रौनक है
मगर जैसे कोई कम है कभी मिलने चले आओ
तुम्हें तो ईल्म है मेरे दिल ए वहसी के ज़ख्मों की
तुम्हारा वस्ल मरहम है कभी मिलने चले आओ
अंधेरी रात की गहरी खामोशी और तन्हा दिल
दिए के लौ भी मद्धम हैं कभी मिलने चले आओ
तुम्हारे रूठ के जाने से हमको ऐसा लगता है
मुकद्दर हमसे बरहम है कभी मिलने चले आओ
हवावों और फूलों की नई खुश्बू बताती है
तेरे आने का मौसम हैं कभी मिलने चले आओ
(अदीम हाशमी)
हर एक जानिब :- हर तरफ
हमराह :- साथी, दोस्त, साथ चलने वाला
ईल्म :- मालुम, जानकारी
दिल ए वहसी :- घबराया हुआ दिल, वीरान दिल
वस्ल :- मिलन, मिलना
Bada viran mousam hai kabhi milane chale aavo
Khoomar barabankavi shyari अकेले हैं वो और झूंझला रहे हैं
अकेले हैं वो और झुंझला रहे हैं
ईलाही मेरे दोस्त हों खैरियत से
ये क्यों घर में पत्थर नहीं आ रहे हैं
बहुत ख़ुश हैं गुस्ताखियों पर हमारी
बजाहीर जो बरहम नजर आ रहे हैं
ये कैसी हवाएं तरक्की चली है
दिए तो दिए दिल बुझे जा रहे हैं
बहिश्ते तसव्वुर के जलवे हैं मैं हूं
जुदाई सलामत मज़े आ रहे हैं
बहारों में भी मय से परहेज़ तौबा
खूमार आप तो काफ़िर हुए जा रहे हैं
(खूमार बाराबंकवी)
ईलाही :- खुदा, ईश्वर
गुस्ताखियां :- गलतियां
बजाहीर :- दिखने में
बरहम :- नाराज़, खफा
बहिश्ते तसव्वुर :- स्वर्ग की कल्पना, जन्नत का ख़्याल
मय :- शराब