Manzar bhopali Kidhar ko jayenge ahale safar किधर को जायेंगे अहले सफ़र



 किधर को जायेंगे अहले सफ़र नहीं मालुम


किधर को जायेंगे अहले सफ़र1 नहीं मालुम

वो बदहवाशी2 है अपना ही घर नहीं मालुम


हमारे शहर में हर रोज़ एक क़यामत है

यहाँ किसी को किसी की खबर नहीं मालुम


हमारा सब्र तुझे ख़ाक में मिला देगा

हमारे सब्र का तुझको असर नहीं मालुम


मेरे खुदा मुझे तौफीक दे मोहब्बत की

दिलों को जीतने वाला हुनर नहीं मालुम


हम अपने घर में भी महफूज़ रह नहीं सकते

कि हमको नियते दीवारो दर नहीं मालुम


हमेशा टूट के माँ बाप की करो ख़िदमत

हैं कितने रोज़ ये बूढ़े शज़र3 नहीं मालुम


                   (मंज़र भोपाली)

 

(1)           अहले सफ़र :- सफ़र करने वाले

(2)           बदहवाशी :- परेशानी,घबराहट

(3)           शज़र :- पेड़


दिल की धड़कन तेरे क़दमों की सदा लगती है.........

 

Kidhar ko jayenge ahale safar nahin malum


Kidhar ko jayenge ahale safar nahin malum

Vo bad-hawashi hai apna hi ghar nahin malum


Hamare shahar mein har roz ek qayamat hai

Yahan kisi ko kisi ki khabar nahin malum


Hamara sabra tujhe khaak mein mila dega

Hamare sabra ka tujhko asar nahin malum


Mere khuda mujhe taufeek de mohabbat ki

Dilon ko jitane wala hunar nahin malum


Ham apane ghar mein bhi mahafooz rah nahin sakte

Ki hamko niyate diwaro-dar nahin malum


Hamesha toot ke maan baap ki karo khidmat

Hain kitne roz ye boodhe shazar nahin malum


                                                (Manzar Bhopalee)

 

(1)           Ahale-safar :- safar karne wale

(2)           Bad-hawashi :- Pareshani,museebat

(3)           Shazar :- Ped

 

 

 

 


Ahamad Faraz Dil ki dhadkan tere kadmon ki sada lagti h दिल की धड़कन तेरे


दिल को अब यूं तेरी हर एक अदा लगती है


दिल को अब यूं तेरी हर एक अदा लगती है
जिस तरह नशे की हालत में हवा लगती है

रतजगे ख्वाबे-परेशाँ से कहीं बेहतर हैं
लरज़ उठता हूं अगर आँख जरा लगती है

ऐ रगे-जाँ के मकीं तु भी कभी गौर से सुन
दिल की धड़कन तेरे क़दमों की सदा(आवाज़) लगती है

गो दुःखी दिल को बहुत हमने बचाया फिर भी
जिस जगह ज़ख्म हों वहां चोट सदा(हमेशा) लगती है

शाखे-उम्मीद पे खिलते हैं तलब के गूंचे
या किसी शोख के हाथों में हिना लगती है

तेरा कहना कि हमीं रौनके-महफिल हैं फ़राज़
गो तअल्ली है मगर बात खुदा लगती है

                                    (अहमद फ़राज़)


रतजगे :- रात को जागना
ख्वाबे-परेशाँ :- ख्वाबों से परेशान
रतजगे ख्वाबे-परेशाँ से कहीं बेहतर हैं :- रात को जागना ख्वाबों में परेशान होने से अच्छा है
लरज़ उठता हूं :- कांप जाता हूं, डर जाता हूं
रगे-जाँ के मकीं :- नशों (नश) में बसने वाले
सदा :- आवाज़, आहट
गो दुःखी :- कम दुखी, थोड़ा दुखी
सदा :- हमेशा
शाखे-उम्मीद :- उम्मीद की डाली
तलब के गूंचे :- आरज़ू के कली, चाहत के फूलों की कली या चाहत के फूल भी कह सकते हैं
शोख के हाथों में हिना :- चंचल हाथों में मेहंदी, या ज्यादा शारीरिक उथल पुथल करने वाले व्यक्ति के हाथों में मेहंदी
रौनके-महफिल :- महफिल की रौनक
गो तअल्ली :- बहुत छोटी, ना के बराबर
खुदा :- सच्ची





Dil ko ab yun teri har ek adaa lagti hai


Dil ko ab yun teri har ek adaa lagti hai
Jis tarah nashe ki halat mein hawa lagti hai

Ratjage khwabe-pareshan se kahin behtar hain
Laraj uthhta hun agar aankh jara lagti hai

Ae rage- jaan ke makeen tu bhi kabhi gaur se sun
Dil ki dhadkan tere  kadamon ki sada(aawaz) lagti hai

Go dukhi dil ko bahut hamne bachaya fir bhi
Jis jagah zakhm hon wahan chot sadaa(hamesha) lagti hai

Shakhe ummed par khilte hain talab ke gunche
Ya kisi shokh ke hathon mein hina lagti hai

Tera kahna ki hamin raunake-mahafil hain faraz
Go ta-alli hai magar baat khuda lagti hai

                                            (Ahamad Faraz)


Ratjage khwabe-pareshan se kahin behtar hain :- raat ka jagna khwabon mein pareshan hone se achcha hai
Laraj uthhta hu :- kaanp jata hu,dar jataa hu
Rage- jaan ke makeen :- nashon mein basne wale
Sada :- aawaz
Go dukhi dil :- kam dukhi dil,  thoda dukhi dil
Sada :- hamesha
Shakhe- umeed :- ummed ki dalee
Talab ke gunche :- aarjoo ki kali,chahat ki kali
Shokh ke hathon me hina :- chanchal hathon me mehandi
Raunake- mahafil :- mahafil ki rounak 
Go ta-alli :- bahut chhoti,naa ke barabar
Khuda :- sachchi

Khoomar Barabankavi dar se jab uthh ke jaana padega तेरे दर से जब उठ के जाना पड़ेगा



तेरे दर से जब उठ  के जाना पड़ेगा


तेरे दर से जब उठ  के जाना पड़ेगा

खुद अपना जनाज़ा उठाना पड़ेगा


अब आँखों को दरिया बना पड़ेगा

तबस्सुम   का कर्जा चुकाना पड़ेगा


बला से मेरा गम न हो उन पर ज़ाहिर

जब आयेंगे वो मुस्कुराना पड़ेगा


चला हुं मैं कूंचे से उनके बिगड़ कर

हंसी आ रही है की आना पड़ेगा


खूमार उनके घर जा रहे हो तो जाओ

मगर रास्ते में ज़माना पड़ेगा


(खूमार बाराबंकवी)

 

तबस्सुम :- मुस्कुराहट,मुस्कुराना

बला :- गलती से

ज़ाहिर :- पता चलना,मालूम होना

कूंचे :- दर,जगह,गली


हमने चाहा हैतुम्हें चाहने वालों की तरह...... 

 

Tere dar se jab uthh ke jaana padega

 

Tere dar se jab uthh ke jaana padega

Khud apana janaza uthhana padega


Ab aankhon ko dariya banana padega

Tabassum ka karza chukana padega


Bala se mera gam na ho un par zahir

Jab aayenge vo muskurana padega


Chalaa hun main koonche se unke bigad kar

.Hansi aa rahi hai ki aana padega


Khoomar unke ghar ja rahe ho to javo

Magar raste mein zamanaa padega

                     (Khoomar Barabankavi)




adeem hasmi shyari bada viran mousam hai बड़ा वीरान मौसम है

 

 


 

Bada viran mousam hai kabhi milane chale aao 
बड़ा वीरान मौसम है कभी मिलने चले आओ 


बड़ा वीरान मौसम है कभी मिलने चले आओ
हर एक जानिब तेरा ग़म है कभी मिलने चले आओ

 

हमारा दिल किसी गहरी जुदाई के भंवर में है
हमारी आँख भी नम है कभी मिलने चले आओ

 

मेरे हमराह अगर दूर तक लोगों की रौनक है
मगर जैसे कोई कम है कभी मिलने चले आओ

 

तुम्हें तो ईल्म है मेरे दिल ए वहसी के ज़ख्मों की
तुम्हारा वस्ल मरहम है कभी मिलने चले आओ

 

अंधेरी रात की गहरी खामोशी और तन्हा दिल
दिए के लौ भी मद्धम हैं कभी मिलने चले आओ

 

तुम्हारे रूठ के जाने से हमको ऐसा लगता है
मुकद्दर हमसे बरहम है कभी मिलने चले आओ

 

हवावों और फूलों की नई खुश्बू बताती है
तेरे आने का मौसम हैं कभी मिलने चले आओ

 

                                   (अदीम हाशमी)

 

हर एक जानिब :- हर तरफ
हमराह :- साथी, दोस्त, साथ चलने वाला
ईल्म :- मालुम, जानकारी
दिल ए वहसी :- घबराया हुआ दिल, वीरान दिल
वस्ल :- मिलन, मिलना


Bada viran mousam hai kabhi milane chale aavo


Bada viran mousam hai kabhi milane chale aavo
Har ek janib tera gam hai kabhi milne chale aavo

Hamara dil kisi gahari judai ki bhanvar mein hai
Hamari aankh bhi nam hai kabhi milne chale aavo

Mere hamrah agar door tak logon ki rounak hai 
Magar jaise koi kam hai kabhi milane chale aavo

Tumhein to ilm hai mere dil e wahsi ke zakhmon ki
Tumhara wasl marham hai kabhi milne chale aavo

Andheri raat ki gahari khamoshi aur tanha dil
Diye ke lau bhi maddham hain kabhi milne chale aavo

Tumhare roothh ke jane se hamko aisa lagta hai
Mukaddar hamse barham hai kabhi milne chale aavo

Hawaon aur phoolon ki nayi khushboo batati hai
Tere aane ka mousam hai kabhi milane chale aavo

                                               (Adeem Hashmi)

Har ek janib :- har taraf
Hamraah :- saathi,dost,saath chalne wala
Ilm :- malum hona,jankari hona
Dil e wahasi :- ghabraya huaa dil,viraan dil
Wasl :- milan
Barham :- rothhaa,naraaz

Khoomar barabankavi shyari अकेले हैं वो और झूंझला रहे हैं



 

अकेले हैं वो और झुंझला रहे हैं


अकेले हैं वो और झुंझला रहे हैं
मेरी याद से जंग फरमा रहे हैं

ईलाही मेरे दोस्त हों खैरियत से
ये क्यों घर में पत्थर नहीं आ रहे हैं

बहुत ख़ुश हैं गुस्ताखियों पर हमारी
बजाहीर जो बरहम नजर आ रहे हैं

ये कैसी हवाएं तरक्की चली है
दिए तो दिए दिल बुझे जा रहे हैं

बहिश्ते तसव्वुर के जलवे हैं मैं हूं
जुदाई सलामत मज़े आ रहे हैं

बहारों में भी मय से परहेज़ तौबा
खूमार आप तो काफ़िर हुए जा रहे हैं

            (खूमार बाराबंकवी)


ईलाही :- खुदा, ईश्वर
गुस्ताखियां :- गलतियां
बजाहीर :- दिखने में
बरहम :- नाराज़, खफा
बहिश्ते तसव्वुर :- स्वर्ग की कल्पना, जन्नत का ख़्याल
मय :- शराब


Dekhi hai meri udasi usane parveen shakir shyari





बारिश  ने  हमें  मिला  दिया  है


किस्मत से भी कुछ सिवा दिया है
बारिश  ने  हमें  मिला  दिया  है

देखी  है  मेरी   उदासी  उसने
और  देख  के  मुस्कुरा  दिया है

अब  तो  मुझे सब्र आ  गया था
ये  किसने  मुझे  रुला  दिया  है

वह  चाहे  तो  रास्ता  बदल  ले
मैंने  तो  दिया  जला  दिया  है

उस  रौनक ए  बज़्म  ने  तो  मेरी
तनहाईयों  को  भी  सजा  दिया है

वह  पल  कि  सुलग  उठा  है मलबूस
और  उसने  दिया  बुझा  दिया  है

                                    ( परवीन शाकिर )

रौनक ए  बज़्म :-  महफिल की रौनक 
मलबूस  :-  बदन में पहना हुआ पोषक 




Dekhi hai meri udaasi usane


Kismat se bhi kuch siwa diya hai
Baarish ne hamein mila diya hai

Dekhi hai meri udaasi usane
Aur dekh ke muskura diya hai

Ab to mujhe sabra aa gaya tha 
Ye kisane mujhe rula diya hai

Wah chaahe to raasta badal le
Maine to diya jala diya hai

Us raunake bazm ne to meri
Tanhai ko bhi saja diya hai

Wah pal ki sulag uthha hai malboos
Aur usane diya bujha diya hai.

                                       ( Parveen Shakir)

raunake bazm :- mahafil ki rounak.
malboos  :-  poshak,badan me pahna huaa poshak

ना हारा है इश्क़ ना दुनिया थकी है Khomaar barabankavi shayari

 


ना हारा है इश्क़ ना दुनिया थकी है


ना हारा है इश्क़ ना दुनिया थकी है
दिया जल रहा है हवा चल रही है

सोकूं ही सोकूं है खुशी है खुशी है
तेरा ग़म सलामत मुझे क्या कमी है

वो मौजूद हैं ओर उनकी कमी है
मोहब्बत भी तनहाई ए दाएमी है

खटक गुदगुदी का मजा दे रहा है
जिसे इश्क़ कहते हैं शायद यही है

चारागों के बदले मकां जल रहे हैं
नया है ज़माना नयी रोशनी है

जफाओं पे घुट घुट के चुप रहने वाले
खामोशी ज़फाओं की ताईद भी है

मेरे रहबर मुझको गुमराह कर दे
सुना है कि मंज़िल करीब आ गई है

                  ( खूमार बाराबंकवी )


दाएमी :- हमेशा

मोहब्बत भी तनहाई ए दाएमी है :- मोहब्बत हमेशा तन्हाई देने वाली है, मोहब्बत में हमेशा तन्हा करने वाली होती है

जफाओं :- ना इंसाफी,ज़ुल्म

ताईद :- समर्थन, समर्थन करना

रहबर :- रास्ता दिखाने वाला, अगुवा

गुमराह :- भटकना, रास्ता भूलना

मेरे रहबर मुझको गुमराह कर दे :- रास्ता दिखाने वाले मुझको रास्ते से भटका दे,रास्ता भूल दे

Ahamad faraz abki ham bichhade to shayad kkwabon mein milen अबकी हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिलें

    


   
   अबकी हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिलें

    अबकी हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिलें
    जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें

    ढूंढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती 
    ये ख़ज़ाने तुम्हें मुमकिन है खराबों में मिलें

    गमे दुनिया भी ग़मे यार में शामिल कर लो
    नशा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें

    तु खुदा है ना मेरा इश्क फरिश्तों जैसा
    दोनों इन्सां हैं तो क्यों इतने हिजाबों में मिलें

    आज हम दार पे खींचे गए जिन बातों पर
    क्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों में मिलें

    अब न वो हैं न वो तु है न वो माजी है फ़राज़
    जैसे दो शख़्स तमन्ना के सराबों में मिलें

                                    (अहमद फ़राज़)

खराबों में :- रेगिस्तानों में

गमे दुनिया :- दुनिया के ग़म

ग़मे यार :- महबूब के ग़म,दोस्त के ग़म

हिजाबों में :- पर्दे में

दार :- सूली

निसाबों में :- पाठयक्रम में, किताबों में पढ़ाए जाने वाले पाठ

माजी :- बीता हुआ कल, गुजरा हुआ जमाना

तमन्ना के सराबों में :- ख्वाहिशों के छल में, इच्छा के छलाव में

best romantic gazal


ये जींदगी तो कोई बद्दुआ लगे है मुझे (jaan nisar akhtar)

    


    ये जींदगी तो कोई बद्दुआ लगे है मुझे


    हर एक रूह में एक ग़म छुपा लगे हैं मुझे
    ये जींदगी तो कोई बद्दुआ लगे है मुझे

    जो आंसुवों में कभी रात भीग जाती है
    बहुत करीब वो आवाजे पा लगे है मुझे

    मैं सो भी जाऊं तो क्या मेरी बंद आंखों में
    तमाम रात कोई झांकता लगे है मुझे

    मैं जब भी उसके खयाल में खो सा जाता हूं
    वो खुद भी बात करे तो बुरा लगे है मुझे

    दबा के आई है सीने में कौन सी आहें
    कुछ आज रंग तेरा सांवला लगे है मुझे

    मैं सोंचता था कि लौटुंगा अजनबी की तरह
    पर ये मेरा गांव तो पहचानता लगे हैं मुझे

    न जाने वक्त की रफ्तार क्या दिखाती है
    कभी कभी बड़ा खौफ सा लगे है मुझे

    बिखर गया है कुछ इस तरह आदमी का वजूद
    हर एक शख़्स कोई सानेहा लगे है मुझे

    अब एकाद कदम का हिसाब क्या रखें
    अभी तलक तो वही फासला लगे है मुझे

                                      (जां निसार अख़्तर)

आवाजे पा :- कदमों की आवाज़,कदमों की आहट
सानेहा :- सदमा पहुंचाने वाला, तकलीफ देने वाला

अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं ( Ahamad Faraz Shayari )

         


    

    अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं


    अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं

    फराज़ अब जरा लहजा बदल के देखते हैं


    जुदाईयां तो मुकद्दर हैं फिर भी जाने सफर

    कुछ और दूर जरा साथ चल के देखते हैं


    राहे वफ़ा  में  हरीफे  खिराम  कोई तो हो

    सो अपने आप से आगे निकल के देखते हैं


    तु सामने है तो फिर क्युं यकीं नहीं आता

    ये बार बार जो आंखों को मल के देखते हैं


    ये कौन लोग हैं मौजूद तेरी महफिल में

    जो लालचों से तुझे, मुझको जल के देखते हैं


    ये कुर्ब क्या है कि यक्जां हुए ना दूर रहे

    हजार एक ही कालिब में ढल के देखते हैं


    ना तुझको मात हुई है ना मुझको मात हुई

    सो अबकी दोनों ही चालें बदल के देखते हैं


    ये कौन हैं सरे साहिल कि डूबने वाले

    समन्दरों की तहों से उछल के देखते हैं


    अभी तलक तो न कुंदन हुए न राख हुए

    हम अपनी आग में हर रोज जल के देखते हैं


    बहुत दिनों से नहीं है कुछ उसकी  खैर खबर

    चलो फ़राज़ कूए यार चल के देखते हैं

                                        ( अहमद फ़राज़ )



लहजा :- बात करने के अंदाज़,बात करने का तरीका

जाने सफर :- यहां पर मतलब महबूब से है या दोस्त

राहे वफ़ा :- वफ़ा के राह

हारीफे खिराम :- चलने में मुकाबिल,चलने में मुकाबला

राहे वफ़ा में हरीफे खिराम:- वफ़ा के रास्ते पर चलने में मुकाबला करने वाला 

कुर्ब :- नजदीकियां,नजदीकी, इकट्ठा 

यक्जां:- करीब, समीप

कालिब :- ढांचा

मात :- हार, पराजय

सरे साहिल :- समंदर का किनारा,किनारा

तहों से :- गहराइयों से

कुंदन :- सोना, प्योर सोना

कूए यार :- महबूब की गली