five best shayari of manzar bhopali मंज़र भोपाली के पाँच बेस्ट शायरी

 

five best shayari of manzar bhopali मंज़र भोपाली के पाँच बेस्ट शायरी



कोई बचने का नहीं सबका पता जानती है

कोई बचने का नहीं सबका पता जानती है

किस तरफ आग लगानी है हवा जानती है

उजले कपड़े में रहो या की नकाबें डालो

तुमको हर रंग में ये खल्के-खुदा1 जानती है

रोक पाएगी ना जंजीर न दीवार कोई

अपनी मंजिल का पता आह-ए-रसा2 जानती है

टूट जाऊंगा बिखर जाऊंगा हरूँगा नहीं

मेरी हिम्मत को ज़माने की हवा जानती है

आप सच बोल रहे हैं तो परेशां क्यों हैं

ये वो दुनिया है जो अच्छों को बुरा जानती है 

आंधियाँ जोर दिखाएं भी तो क्या होता है

गुल खिलाने का हुनर बादे-सबा3 जानती है

आँख वाले नहीं पहचानते उसको मंज़र

जीतने नज़दीक से फूलों की अदा जानती है 

 

1.खल्के-खुदा :- लोग,खुदा के बनाये लोग

2.आह-ए-रसा :-आह के आभाव में उद्देश्य की प्राप्ति

3.बादे-सबा :- ठंडी हवा,सुबह की हवा


बड़ा वीरान मौसम है कभी मिलने चले आवो..............

 

Koi bachne ka nahin sabka pata janti hai

Koi bachne ka nahin sabka pata janti hai

Kis taraf aag lagani hai hawa janti hai

Ujale kapde mein raho ya ki naqabein dalo

Tumko har rang mein ye khalke-khuda janti hai

Rok payegi na janzir na diwar koi

Apni manzil ka pata aah-e-rasa janti hai

Tut jaunga bikhar jaunga harunga nahin

Meri himmat ko zamane ki hawa janti hai

Aap sach bol rahe hain to pareshan kyon hain

Ye wo duniya hai jo achchon ko bura janti hai 

Aandhiyan jor dikhayein bhi to kya hota hai

Gul khilane ka hunar baade-sabaa janti hai

Aankh wale nahin pahchante usko manzar

Jitane nazdeek se phoolon ki ada janti hai 




हम तो फूल जैसे थे आग सा बना डाला

हम तो फूल जैसे थे आग सा बना डाला

हाय इस ज़माने ने क्या से क्या बना डाला

आओ तुम भी पास आओ रोशनी में नहला दें

जिसको छू लिया हमने आईना बना डाला

तुमसे क्या रखे कोई मुन्सिफी1 की उम्मीदें

क़त्ले-आम को तुमने हादसा बना डाला

 

1.   1.    मुन्सिफी :- इंसाफ

 

Ham to phool jaise the aag sa bana dala

Ham to phool jaise the aag sa bana dala

Hae is zamane ne kya se kya bana dala

Aavo tum bhi paas aavo roshani mein nahla dein

Jisko chhoo liya hamne aaina bana dala

Tumse kya rakhe koi munsifi ki ummeedein

Qatle-aam ko tumne haadsa bana dala


ग़मों से, दर्द से, ज़ख्मों से, तलवारों से डरते हैं

ग़मों से, दर्द से, ज़ख्मों से, तलवारों से डरते हैं                 

मोहब्बत क्या करेंगे वो जो अंगारों से डरते हैं

दशहरा, ईद, बैशाखी, दिवाली अब भी आती है

मगर अब हाल ये है की लोग त्योहारों से डरते हैं


बेचैन उमंगों को बहला के चले जाना ................

Gamon se, dard se, zakhmon se, talwaron se darte hain

Gamon se, dard se, zakhmon se, talwaron se darte hain          

Mohabbat kya karenge wo jo angaron se darte hain

Dashahra, eid, baishakhi, diwali ab bhi aati hai

Magar ab haal ye hai ki log tyoharon se darte hain 




अब अगर अजमते किरदार भी गिर जाएगी 

अब अगर अजमते किरदार भी गिर जाएगी         

आपके सर से ये दस्तार भी गिर जाएगी

बहते धारे तो पहाड़ो का जिगर चीरते हैं

हौसला कीजिये ये दीवार भी गिर जाएगी

हम से होंगे ना लहू सींचने वाले जिस दिन

देखना कीमते गुलज़ार भी गिर जाएगी

सरफरोसी का जुनूं आप में जागा जिस दिन

ज़ुल्म के हाथ से तलवार भी गिर जाएगी

रेशमी लफ़्ज़ों में क़ातिल न बातें कीजिये

वरना शाने लबे गुफ्तार भी गिर जाएगी

अपने पुरखों की विरासत को संभालो वरना

अबकी बारिश में ये दीवार भी गिर जाएगी

हमने ये बात बुजुर्गों से सुनी है मंज़र

ज़ुल्म  ढाएगी तो सरकार भी गिर जाएगी


हमने चाहा है तुम्हें चाहने वालों की ............

Ab agar ajmate kirdar bhi gir jayegi         

Ab agar ajmate kirdar bhi gir jayegi

Aapke sar se ye dastar bhi gir jayegi

Bahate dhare to pahado ka zigar chirte hain

Hausala kijiye ye diwar bhi gir jayegi

Ham se honge na lahoo sinchane wale jis din

Dekhna kimate gulzar bhi gir jayegi

Sarfaroshi ki junoon aap mein jaga jis din

Zulm ke haath se talwar bhi gir jayegi

Reshmi lafzon mein qatil na baatein kijiye

Warna shaan-e-labe guftar bhi gir jayegi

Apne purkhon ki virasat ko sambhalo warna

Abki barish mein ye diwar bhi girnjayegi

Hamne ye baat buzurgon se suni hai manzar

Zulm dhhayegi to sarkar bhi gir jayegi




बेअमल को दुनिया में राहतें नहीं मिलती

 बेअमल को दुनिया में राहतें नहीं मिलती

दोस्तों दुआवों से जन्नतें नहीं मिलती

अपने बल पे लड़ती है अपनी जंग हर पीढ़ी

नाम से बुजुर्गों के अजमतें नहीं मिलती

इस नए ज़माने के आदमी अधूरे हैं

सूरतें तो मिलती है सिरतें नहीं मिलती

आज कल वही अक्सर कोसते हैं किस्मत को

जिनको ऊँचे वहदों पर रिश्वतें नहीं मिलती

शोहरतों पर इतरा कर खुद को जो खुदा समझते हैं

मंज़र ऐसे लोगों की तुरबतें(कब्र) नहीं मिलती 


Be-amal ko duniya mein rahatein nahin milti

Be-amal ko duniya mein rahatein nahin milti

Doston duaawon se jannatein nahin milti

Apne bal pe ladti hai apni zang har pidhi

Naam se buzurgon ke azmatein nahin milti

Is naye zamane ke aadmi adhoore hain

Suratein to milti hain siratein nahin milti

Aaj kal wahi aksar koste hain kismat ko

Jinko unche wahadon par rishwatein nahin milti

Shoharton par itra kar khud ko jo khuda samjhate hain

Manzar aise logon ki turbatein (kabra) naahin milti

 

दिल की धड़कन तेरे क़दमों की सदा लगती है ...........

 मुद्दतों बाद कोई हमसफ़र अच्छा लगा ...............

 

 

 



 

 

 

 

   

 


best four line shayari in hindi चार लाइन की शायरी


Best four line shayari in hindi चार लाइन की शायरी




भंवर में रह के किनारे तलाश करता है

जमीं पे कौन सितारे तलाश करता है

वो क्या नदीम कोई इन्कलाब लाएगा

जो हर क़दम पे सहारे तलाश करता है

                             नदीम शाद

Bhanvar mein rah ke kinare talash karta hai

Zameen pe kaun sitare talash karta hai

Wo kya Nadeem koi inqalab layega 

Jo har qadam pe ssahare talash karta hai

                                Nadeem Shad


अगर ना आज सही तो कल जरूर टूटेगा

गुरूर किसका रहा है गुरूर टूटेगा 

ये मशेवरा है कि पत्थर बना के रख दिल को

ये आईना ही रहा तो जरूर टूटेगा

                          नदीम शाद

Agar na aaj sahi to kal jarur tutega 

Gurur kiska raha hai gurur tutega

Ye mashewara hai ki patthar bana ke rakh dil ko

Ye aaina hi raha to jarur tutega

                           Nadeem Shad


मैं अपने आप से हारा कोई बाजी नहीं होता

अगर लिपटा हुआ मुझसे मेरा माजी नहीं होता

जरुरी है कदूरत भी दिलों से साफ हो पहले

फकत सर के झुकाने से खुदा राजी नहीं होता

                                       नदीम शाद

Main apne aap se hara koi bazee nahi hota

Agar lipta huaa mujhse mera maaji nahi hota

Jaruri hai kadurat bhi dilon se saaf ho pahle

Fakat sar ke jhukane se khuda raaji nahi hota

                                      Nadeem Shad


मुद्दतों खुद की कुछ खबर ना लगे

कोई अच्छा भी इस कदर ना लगे

हमने देखा है उस नजर से तुम्हें 

जिस नजर से तुम्हें नजर ना लगे

                           हिलाल बदायूनी

Muddaton khud ki kuchh khabar na lage 

Koi achcha bhi is kadar na lage

Hamne dekha hai us nazar se tumhein

Jis nazar se tumhein nazar na lage

                           Hilal badayuni


मेरे ख्वाबों को हकीकत भी तो दे सकते हो

गफलतें छोड़ के चाहत भी तो दे सकते हो

ये जरूरी तो नहीं की ज़ख्म ही बख्शो मुझको

तुम किसी रोज मोहब्बत भी तो दे सकते हो

                                    हिलाल बदायूनी

Mere khwabon ko hakikat bhi to de sakte ho

Gaflatein chhod ke chahat bhi to de sakte ho

Ye jaruri to nahi ki jakhm hi bakhsho mujhko

Tum kisi roz mohabbat bhi to de sakte ho

                                      Hilal Badayuni



बेचैन उमंगों को बहला के चले जाना ................


गंवारा जो न करना था गंवारा कर लिया उसने

मोहब्बत के वसूलों से किनारा कर लिया उसने

अभी तक ये सुना था इश्क़ बस एक बार होता है

मगर सुनने में आया है दोबारा कर लिया उसने

                                 हिलाल बदायूनी

Ganvara jo na karna tha ganvara kar liya usne

Mohabbat ke wasulon se kinara kar liya usne

Abhi tak ye suna tha ishq bas ek bar hota hai

Magar sunne mein aaya hai dobara kar liya usne

                                        Hilal badayuni


मेरी रुसवाई करके तुम मुझे इनाम दे देते 

अगर मुझसे शिकायत थी कोई इल्जाम दे देते

वफा तो कर ना पाए बेवफाई भी ना कर पाए

कोई एक काम तो तुम ठीक से अंजाम दे देते

                                   हिलाल बदायूनी

Meri ruswai karke tum mujhe inaam de dete

Agar mujhse shikayat thi koi ilzaam de dete

Wafa to kar na paye bewafai bhi na kar paye

Koi ek kaam to tum thhik se anjaam de dete

                                     Hilal badayuni



याद फिर आ गई एक ज़माने के बाद

हमको रोना पड़ा मुस्कुराने के बाद

पहले बेताबियाँ थीं समझ कुछ न थी

होश आया हमें दिल लगाने के बाद


Yaad fir aa gai ek zamane ke baad

Hamko rona pada muskurane ke baad

Pahle betabiyan thi samajh kuchh na thi

Hosh aaya hamein dil lagane ke baad


मेरी खुशियों के लिए जान लुटाने वाले

मेरी दुःख दर्द को पलकों पे सजाने वाले

जबसे मन्सूब हुआ नाम तेरा मेरे साथ

मुझसे रहते हैं खफा सारे ज़माने वाले 


Meri khushiyon ke liye jaan lutane wale

Meri dukh dard ko palkon pe sazane wale

Jabse mansoob huaa naam tera mere sath

Mujhse rahte hain khafa saare zamane wale



मुद्दतों से कोई शख्स रुलाने नहीं आया 

जलती हुई आँखों को बुझाने नहीं आया

कहता था कि हम साथ जीयेंगे साथ मरेंगे

अब रूठ गया हूं तो मनाने नहीं आया


Muddaton se koi shakhs rulane nahin aaya

Jalti hui aankhon ko bujhane nahin aaya

Kahta tha ki ham sath jiyenge sath marenge 

Ab ruth gaya hun to manaane nahi aaya

बड़ा वीरान मौसम है कभी मिलने चले आवो................. 


Manzar Bhopali shayari khwab mein hi sahi zindagi to mile


वो कहीं तो मिले,वो कभी तो मिले


 वो कहीं तो मिले,वो कभी तो मिले

ख़्वाब में ही सही ज़िंदगी तो मिले


दिल में आने की हसरत बहुत दिन से है

कुछ इजाज़त मगर आप की भी तो मिले


ज़िंदगी काट देंगे गली में तेरी

जानेमन हमको तेरी गली तो मिले


आदमियत को आँखें तरसने लगी

इस जहां में कहीं आदमी तो मिले


हम भी कह देंगे घर में बहार आई है

कोई डाली चमन में हरी तो मिले


आओ मिल कर जलाएं दिए प्यार के

इन अंधेरों में कुछ रोशनी तो मिले


मुझको रावण ही रावण मिले फकत

ज़िंदगी में कोई राम भी तो मिले

                          मंज़र भोपाली




Wo kahin to mile,wo kabhi to mile


Wo kahin to mile,wo kabhi to mile

Khwab mein hi sahi zindagi to mile


Dil mein aane ki hasrat bahut din se hai

Kuchh ijazat magar aapki bhi to mile


Zindagi kaat denge gali mein teri

Janeman hamko teri gali to mile


Aadmiyat ko aankhein tarasne lagi

Is jahan mein kahin aadmi to mile


Ham bhi kah denge ghar mein bahar aayi hai

Koi daalee chaman mein hari to mile


Aavo milkar jalayein diye pyar ke 

In andheron mein kuchh roshani to mile


Mujhko ravan hi ravan mile fakat

Zindagi mein koi raam bhi to mile

                            Manzar Bhopali

Romantic and sad Image shayari चार लाई की इमेज और दर्द शायरी

 Best four line romantic and sad shayari with image चार लाईन की रोमैंटिक और दर्द शायरी इमेज के साथ 




     

                              




Best four line romantic and sad shahayari


Itni takhir se mat mil ki hamein sabra aa jaye
Aur fir ham bhi nazar tujhse churane lag jayein 
                                     (Rehana Roohi)


Hatao haath aankhon se ye tum ho janta hu main
Tumhein khushboo nahin aahat se bhi pahchanta hu main
Bhatkata fir raha tha gam lipat ke mujhse ye bola
Kahan jaun tujhi ko shahar bhar mein janta hu main
                                     (Nadeem Shad)


Kuchh to Nadeem gam ki hirasat mein kat gaye
Kuchh din tere vishal ke chahat mein kat gaye
Ab jab talak jiyenge to nafrat karenge 
Wo din hi aur the jo mohabbat mein kat gaye
                                       (Nadeem Shad)


Bimaar ko marz ki dawa deni chahiye
Ye peena chahate hain pila deni chahiye
Aur ye khud bhi chahte hain karein tera samna
Tujhko bhi ab naqab uthha deni chaiye
                                   (Hilal Badayuni)


Mohabbaton ki nishani kitab mein rakh dee
Mahak ye kisne tumhari gulaab mein rakh dee
Na jane kaun si Manzil pe pyaas thhaharegi
Ki saari galti labon ki sharab mein rakh dee
          

Sar chadhaya huaa jadoo nahin padhne dete
Tera chehra tere gesu nahin padhne dete 
Main kitaben to har roz sajaa leta hoon
Magar tere paazeb ke ghunghru nahin padhne dete


Gulon ka chehra jo utara huaa hai
Mohabbat mein koi ruswa huaa hai
Wafa kar ke mili hai bewafai
Chalo jo bhi huaa hai achcha huaa hai







 

four line urdu poetry-(kavita) in hindi चार लाईन की शायरी

चार  लाईन की शायरी 



भूल  जाएँ  तो  आज  बेहतर  है 
सिलसिले कुर्ब (नज़दीकी) के जुदाई के 
बुझ चुकी हैं ख्वाहिशों की कंडीलें(चिराग)
लुट चुके शहर आशनाई (जान पहचान ) के 
                           अहमद फ़राज़

रायगाँ साअतों (ब्यर्थ पल ) से क्या लेना 
ज़ख्म  हों,  फूल  हों,  सितारे  हों 
मौसमों  का  हिसाब क्या रखना 
जिसने  जैसे  भी दिन गुज़ारे हों 
              अहमद फ़राज़

ज़िन्दगी  में  शिकायतें  कैसी 
अब नहीं हैं अगर गिले थे कभी 
भूल जाएँ कि जो हुआ सो हुआ 
भूल जाएँ कि हम मिले थे कभी 
             अहमद फ़राज़

अक्सर-औकात (प्रायः) चाहने पर भी 
फासलों  में  कमी  नहीं  होती 
बाज़-औकात (कभी-कभी) जाने वालों की 
वापसी  से  ख़ुशी   नहीं होती 
          अहमद फ़राज़

चाहे मुझे काम में ला चाहे मुझे निकम्मा कर दे 
मैं  तेरा   हूँ  तेरी  मर्ज़ी  मुझे  जैसा  कर  दे 
तेरा बीमार हूँ अज़लों (वर्षों) से मर ना जाऊं कहीं 
एक बार मुझे देख ले मुझको अच्छा कर दे 



 Char line ki shayari 


aaja ki zindagi ka talatum(baharein) guzar na jaye
gahare samundaron mein ye dariya utar na jaye 
main ye bhi chahati hu ki tera ghar basa rahe 
aur ye bhi chahati hu ki tu apne ghar na jaye 
                          Rehana Roohi

lhool  jayein  to  aaj  behtar  hai 
silsile kurb (nazdiki) ke judai ke
bujh chuke khwahishon ke charag 
lut chuke shahar aashnayi (jaan-pahchan) ke
                Ahamad Faraz

rayaga-sa'aton (bekar waqt) se kya lena 
zakhm ho,phool hon,sitare ho
mausamon ka hisab kya rakhna 
jisne jaise bhi din guzare hon
             Ahamad Faraz

zindagi mein shikayatein kaisi
ab nahin hain magar gile the kabhi 
bhool jayein ki jo huaa so huaa 
bhool jayein ki ham mile the kabhi 
                Ahamad Faraz

aksar-aukaat(bar-bar) chahane par bhi 
fasalon mein kami nahin hoti 
baaz-aukaat (kabhi-kabhi) walon ki
wapasi se khushi nahin hoti 
                    Ahamad Faraz

tumhare shahar ka mausam bada suhana lage 
main ek shaam chura lun agar bura na lage
tumhare bas mein ho agar to bhool javo mujhe
tumhein bhoolane mein mujhe shayad zamana lage

chahe mujhe kaam mein laa chahe mujhe nikamma kar de
main tera hun teri marzi mujhe jaisa kar de 
tera bimar hoon azalon (varson) se mar na jawon kahin
ek baar mujhe dekh le mujhko achcha kar de 



    

Qateel shifai gazal jhuta koi afsana dohara ke chale jana हम ना रोकेंगे तुम्हें बस आ के चले जाना



बेचैन उमंगो को बहला के चला जाना


बेचैन उमंगो को बहला के चला जाना

हम ना रोकेंगे तुम्हें बस आ के चले जाना


मिलने जो न आये तुम थी कौन सी मजबूरी

झूठा कोई अफसाना दोहरा के चले जाना


जो आग लगी है दिल में वो सर्द1 ना हो जाये

बुझते हुए शोलों को भड़का के चले जाना


उजड़ी नज़र आती है जज्बात की हरियाली

तुम इस पर कोई बदल बरसा के चले जाना


फुर्कत की अज़ीयत2 में कुछ सब्र भी लाजिम3 है

ये बात मेरे दिल को समझा के चले जाना


शायद की बहल जाये दिवाना ‘क़तील’ इससे

तुम कोई नया वादा फरमा के चले जाना

                        (क़तील शिफाई)


1. सर्द :- ठंडा

2. फुर्कत की अज़ीयत :- जुदाई का दर्द या जुदाई की बेचैनी

3. लाजिम :- जरुरी

 

दिल की धड़कन तेरे क़दमों की सदा लगती है.........

दो दिन की ज़िन्दगी का मज़ा हमसे पूछीये.............




Bechain umangon ko bahala ke chale jana


Bechain umangon ko bahala ke chale jana

Ham na rokenge tumhein bas aa ke chale jana


Milane jo na aaye tum thi kaun si majaburi

Jhuta koi afsana dohara ke chale jana


Jo aag lagi hai dil mein vo sard1 na ho jaye

Bhujte huye sholon ko bhadka ke chale jana


Ujadi nazar aati hai jazbaat ki hariyali

Tum uspe koi badal barsa ke chale jana


Furkat ki aziyat2 mein kuchh sabra bhi lazim3 hai

Ye baat mere dil ko samjha ke chale jana


Shayad ki bahal jaye diwana ‘qateel’ isse

Tum koi naya wada farma ke chale jana

                        (Qateel Shifai)


1. sard :- thanda (cold)

2.furkat ki aziyat :- judai ka dard (pain of separation)

3. lazim :- jaruri (necessary,compulsory)