Qateel shifai gazal jhuta koi afsana dohara ke chale jana हम ना रोकेंगे तुम्हें बस आ के चले जाना



बेचैन उमंगो को बहला के चला जाना


बेचैन उमंगो को बहला के चला जाना

हम ना रोकेंगे तुम्हें बस आ के चले जाना


मिलने जो न आये तुम थी कौन सी मजबूरी

झूठा कोई अफसाना दोहरा के चले जाना


जो आग लगी है दिल में वो सर्द1 ना हो जाये

बुझते हुए शोलों को भड़का के चले जाना


उजड़ी नज़र आती है जज्बात की हरियाली

तुम इस पर कोई बदल बरसा के चले जाना


फुर्कत की अज़ीयत2 में कुछ सब्र भी लाजिम3 है

ये बात मेरे दिल को समझा के चले जाना


शायद की बहल जाये दिवाना ‘क़तील’ इससे

तुम कोई नया वादा फरमा के चले जाना

                        (क़तील शिफाई)


1. सर्द :- ठंडा

2. फुर्कत की अज़ीयत :- जुदाई का दर्द या जुदाई की बेचैनी

3. लाजिम :- जरुरी

 

दिल की धड़कन तेरे क़दमों की सदा लगती है.........

दो दिन की ज़िन्दगी का मज़ा हमसे पूछीये.............




Bechain umangon ko bahala ke chale jana


Bechain umangon ko bahala ke chale jana

Ham na rokenge tumhein bas aa ke chale jana


Milane jo na aaye tum thi kaun si majaburi

Jhuta koi afsana dohara ke chale jana


Jo aag lagi hai dil mein vo sard1 na ho jaye

Bhujte huye sholon ko bhadka ke chale jana


Ujadi nazar aati hai jazbaat ki hariyali

Tum uspe koi badal barsa ke chale jana


Furkat ki aziyat2 mein kuchh sabra bhi lazim3 hai

Ye baat mere dil ko samjha ke chale jana


Shayad ki bahal jaye diwana ‘qateel’ isse

Tum koi naya wada farma ke chale jana

                        (Qateel Shifai)


1. sard :- thanda (cold)

2.furkat ki aziyat :- judai ka dard (pain of separation)

3. lazim :- jaruri (necessary,compulsory)


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